दिल्ली किसकी है?
किसीकी नहीं…
इसे अपना बनाना पड़ता है —
कुछ ज़ोर-ज़बरदस्ती से,
कुछ चपेट खाते हुए |
दिल्ली उसकी है जिसने नदी के बहाव को
मोड़कर तैरना सीखा;
जिसने मुस्कुराते हुए
टूटे शीशे पे चलना सीखा;
जिस ने सीखा की मेरी पहचान
एक शहर, एक पिन कोड से नहीं है;
मेरी पहचान मेरी सोच, मेरी ताकत से है|
मेरे लिए पूरी दुनिया दिल्ली है|
किसीकी नहीं…
इसे अपना बनाना पड़ता है —
कुछ ज़ोर-ज़बरदस्ती से,
कुछ चपेट खाते हुए |
दिल्ली उसकी है जिसने नदी के बहाव को
मोड़कर तैरना सीखा;
जिसने मुस्कुराते हुए
टूटे शीशे पे चलना सीखा;
जिस ने सीखा की मेरी पहचान
एक शहर, एक पिन कोड से नहीं है;
मेरी पहचान मेरी सोच, मेरी ताकत से है|
मेरे लिए पूरी दुनिया दिल्ली है|
I like it.— UKK
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Interrogative, self-reflexive, deep. Packaged in an interesting manner—even that has meaning to it 🙂
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